Monday, January 05, 2009

नव प्रभात की ओर

दिन भर की थकन के बाद शाम को सूरज भी अलसाया है...

सोने दे उसे अब अम्बर ये जग भी थोड़ा थक आया है

सुबह होगी कल नव तेज में नव उमंग में नव प्रभा में

नाचेंगे विहाग्वृन्द फ़िर नव स्फूर्त में, करके फिर जागरण विश्व का नव दिन में ...

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