राही मतवाले
राही मतवाले ,
तू छेड़ एक बार , मन का सितार
जाने कब चोरी -चोरी आई हैं बहार
छेड़ मन का सितार
(देख देख चकोरी का मन हुआ चंचल
चंदा के मुखडे पे बदली का आँचल) -२
कभी छुपे, कभी खिले,
रूप का निखार, खिले रूप का निखार
छेड़ मन का सितार , राही मतवाले ,
कलि-कलि चूम के पवन कहे
खिल जा कलि-कलि चूम के,
खिली कलि भंवरे से कहे आ के मिल जा
पिया मिला जा,
कलि-कलि चूम के
दिल ने सुनी कही दिल की पुकार -२
कही दिल की पुकार
छेड़ मन का सितार ,राही मतवाले ,
(रात बनी दुल्हन भीगी हुई पलकें
भीनी-भीनी कुश्बू से सागर छलके) -२
आइसे में नैना से नैना हों चार ज़रा नैना हो चार
छेड़ मन का सितार,राही मतवाले
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