Sunday, July 19, 2009

राही मतवाले

राही मतवाले ,
तू छेड़ एक बार , मन का सितार
जाने कब चोरी -चोरी आई हैं बहार
छेड़ मन का सितार

(देख देख चकोरी का मन हुआ चंचल
चंदा के मुखडे पे बदली का आँचल) -
कभी छुपे, कभी खिले,
रूप का निखार, खिले रूप का निखार

छेड़ मन का सितार , राही मतवाले ,

कलि-कलि चूम के पवन कहे
खिल जा कलि-कलि चूम के,
खिली कलि भंवरे से कहे के मिल जा
पिया मिला जा,
कलि-कलि चूम के
दिल ने सुनी कही दिल की पुकार -
कही दिल की पुकार

छेड़ मन का सितार ,राही मतवाले ,

(रात बनी दुल्हन भीगी हुई पलकें
भीनी-भीनी कुश्बू से सागर छलके) -
आइसे में नैना से नैना हों चार ज़रा नैना हो चार

छेड़ मन का सितार,राही मतवाले

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