दिल को दुखाने के लिए आ
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
फ़िर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो
रस्म-ओ-रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ
किस किस को बतायेंगे जुदाई का सबब हम तो
मुझ से खफा है तो ज़माने के लिये आ
कुछ तो मेरी पिन्दार -ऐ -मोहब्बत का भरम रख तू भी तो
कभी मुझ को मनाने के लिये आ
एक उम्र से हूँ लज्ज़त -ऐ -गिरया से भी
मेहरूमाये राहत -ऐ -जान मुझ को रुलाने के लिये आ
अब तक दिल -ऐ -खुश फ़हम को तुझ से हैं उम्मीदें
ऐ आखरी शम्में भी बुझाने के लिये आ
* रंजिश -enmity, मरासिम - relationship, पिन्दार -pride, लज्ज़त -e-गिरया -taste of sadness.
* रंजिश -enmity, मरासिम - relationship, पिन्दार -pride, लज्ज़त -e-गिरया -taste of sadness.
हम तो आगाज़ -ऐ -मोहब्बत में ही लुट गये हैं फ़राज़
और लोग कहते हैं के अंजाम बुरा होता है ..
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